
दूसरे क्षेत्र में अभियान लेकिन यहां की सुध नहीं
कोरबा। नगर पालिका निगम और ट्रैफिक पुलिस के द्वारा शहर की विभिन्न सडक़ों से लेकर जन महत्व के स्थान को बाधा रहित बनाने की व्यवस्था की जा रही है और लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद दोनों विभाग की नजर कोरबा के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी बस स्टैंड पर बिल्कुल नहीं पड़ रही है, जहां पर कबाड़ हो चुकी सिटी बसों को रखने के साथ व्यवस्था को बाधित किया जा रहा है। अब ऐसा लग रहा है कि संचालन करने वाले ने बस स्टैंड के एक हिस्से को अपना यार्ड बना लिया है। कोरबा अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट समिति का गठन पिछले वर्षों में करने के साथ वर्ष 2016 दिसंबर से सिटी बसों का संचालन कोरबा शहर और आसपास के क्षेत्र में प्रारंभ किया गया। पहले सामान्य श्रेणी की 48 बसें सडक़ पर उतारी गई और बाद में एयर कंडीशनर बस को भी इस व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया। कोरोनावायरस की उपस्थिति से पहले तक सब कुछ बेहतर रहा लेकिन लंबे समय तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर विराम लगने के कारण स्थितियां बिगड़ गई। लगातार किए जा रहे प्रयास के बाद सिटी बसों के संचालन की जिम्मेदारी संबंधित समिति के द्वारा एक निजी ट्रेवल्स को सौंपी गई है। एग्रीमेंट के बावजूद सिटी बसों का संचालन संबंधित रास्ते पर उसे अनुपात में नहीं हो पा रहा है जो की सुनिश्चित किया गया है। नगर निगम की ओर से पहले ही सिटी बसों के रखरखाव और दूसरे कार्यों के लिए जमनीपाली के प्रतीक्षा बस स्टैंड को टर्मिनल बनाया जा चुका है और वहां पर सभी जरूरी संसाधन दिए गए हैं। इनका सदुपयोग किस तरीके से हो रहा है , यह अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। बताया गया कि काफी समय से कोरबा के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी बस स्टैंड का अनुचित उपयोग बिगड़ी हुई सिटी बसों को रखने के तौर पर किया जा रहा है। संचालन करने वाला तर्क देता है कि इन्हें कहीं और नहीं ले जा सकते इसलिए इससे अच्छी और कोई जगह नहीं है। लेकिन इस प्रकार की मनमान के चक्कर में बस स्टैंड की नियमित व्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। निष्क्रीय सिटी बस को यहां वहां खड़े कर देने से यहां के कामकाज पर बाधा उत्पन्न हो रही है और हर दिन इस वजह से विवाद निर्मित हो रहा है।
अनेक मार्गो पर हो रहा संचालन
छत्तीसगढ़ में कोरबा का बस स्टैंड पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मामले में काफी व्यस्त माना जाता है जहां से छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड बिहार मध्य प्रदेश ओडिशा और उत्तर प्रदेश के लिए यात्री बसों का संचालन होता है। बड़ी संख्या में बस के यहां आने जाने और यात्रियों की आमदरफ्त तेज होने से व्यवस्था को सुगम और संतुलित बनाने की जरूरत महसूस हो रही है। कहां जा रहा है कि ऐसा तभी हो सकेगा जबकि फालतू के व्यवधान को यहां से हटाया जाए।