
सक्ती। सक्ती की मनरेगा शाखा में काम करने वाले कर्मचारी हर वक्त डर के साए में काम कर रहे हैं। जिस बिल्डिंग में वे कार्यरत हैं, उसकी दीवारों में चारों तरफ दरारें आ चुकी हैं। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ऑपरेटरों ने कई बार अधिकारियों को मौखिक रूप से इसकी जानकारी दी है। इसके बावजूद न तो कोई कार्रवाई हुई, ना ही सुधार का प्रयास।
जिस कमरे में कर्मचारी बैठते हैं, वहां कुछ साल पहले मरम्मत पर अच्छा-खासा खर्च हुआ था। लेकिन घटिया निर्माण के कारण वह कमरा फिर से जर्जर हो गया है। छत से पानी टपकने लगा था, इसलिए ऊपर टीन शेड लगवाया गया था। एक हफ्ते पहले हल्की आंधी में कुछ टीन की चादरें उडक़र सडक़ पर गिर गईं। अगर कोई वहां होता तो गंभीर चोट लग सकती थी।
कमरे के फर्श में गड्ढे हो गए हैं। बारिश में पूरा कमरा पानी से भर जाता है। कंप्यूटर और बिजली उपकरणों में करंट आने की शिकायत रहती है। बरसात के समय कुछ कर्मचारियों को बगल के कमरे में शिफ्ट कर दिया जाता है। बारिश खत्म होते ही उन्हें फिर उसी कमरे में बैठा दिया जाता है।
एक पंखे के सहारे कर्मचारी गर्मी में हाल और भी खराब है। एक पंखे के सहारे कई कर्मचारी दिनभर काम करते हैं। बिजली चली जाए तो पुराने निमंत्रण कार्ड से हवा करनी पड़ती है। बाथरूम से लगातार बदबू आती है। इससे कर्मचारियों को भारी परेशानी होती है। यह सब अधिकारियों की जानकारी में है। क्योंकि मनरेगा शाखा की पीओ भी उसी कमरे से लगे कमरे में बैठती हैं। इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। समय रहते सुधार नहीं हुआ तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।