नई दिल्ली। रेयर अर्थ मैग्नेट आयात नहीं होने का मुद्दा भारत सरकार ने चीन के विदेश मंत्रालय के समक्ष दो बार उठा दिया है, लेकिन अभी तक चीन की तरफ से इस बात का कोई संकेत नहीं दिया गया है कि वह भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की समस्या दूर करने को लेकर गंभीर है।पिछले हफ्ते चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने चीन के उप-विदेश मंत्री सुन वीडोंग से मुलाकात की और आटोमोबाइल उद्योग में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट के आयात से जुड़ा मुद्दा उठाया। इस दुर्लभ धातु का इस्तेमाल ऑटोमोबाइल निर्माण में बहुत जरूरी है। चीन ने इस तरह के छह दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर रोक लगा दी है।भारत की ऑटोमोबाइल कंपनियों का कहना है कि अगर अगले महीने से इस धातु का आयात शुरू नहीं किया गया तो घरेलू स्तर पर वाहन निर्माण मुश्किल होगा। रेयर अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल वाहनों के मोटर में होता है। चाहे गियर बदलने का सिस्टम हो या विंडो को उपर-नीचे करने वाले मोटर का निर्माण हो या ब्रेक्स।विंडशील्ड्स वाइपर, पावर स्टीयरिंग आदि में भी इसका इस्तेमाल होता है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र इसकी दिक्कतों को समझते हुए सरकार से इस मुद्दे को चीन के समक्ष उठाए जाने की गुहार लगा रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे को दो-तीन बार कूटनीतिक स्तर पर चीन के समक्ष उठाया जा चुका है।चीन की तरफ से पूरे प्रकरण पर तर्कसंगत और आपसी हितों को देखते हुए विचार किये जाने की बात कही गई है। लेकिन अभी तक इस बात का संकेत नहीं है कि वह इन धातुओं धातुओं के निर्यात को लेकर कोई नरमी दिखाएगा।भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। जबकि यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका के लिए चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात को लेकर नरमी का रुख अख्तियार किया है।यूरोपीय की कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति बहाल भी की गई है। जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंंग के बीच वार्ता के बाद अमेरिकी कंपनियों को निर्यात को फिर शुरू किए जाने के संकेत हैं।
भारतीय आटोमोबोइल उद्योग ने पूरे मुद्दे पर चीन के आपूर्तिकर्ताओं से सीधे तौर पर बात करने का फैसला किया है। इनका एक दल इस हफ्ते चीन की यात्रा पर जाने की तैयारी में है।रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति बाधित होने का भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों पर बड़ा असर पडऩे की संभावना है। मई 2025 के आंकड़े बताते हैं कि इलेक्ट्रिक दोपहिया की बिक्री में 30 प्रतिशत, इलेक्ट्रिक तिपहिया की बिक्री में 21 प्रतिशत और व्यक्तिगत व वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में क्रमश: 53 व 82 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगर चीन ने इस धातु का निर्यात नहीं खोला तो बिक्री की इस रफ्तार पर ब्रेक लग सकता है।