
कर्नाटक, 01 जून ।
राष्ट्रपति ने सिविल प्रक्रिया संहिता (कर्नाटक संशोधन) अधिनियम, 2024 को मंजूरी दे दी है, जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 में संशोधन करता है, ताकि कर्नाटक राज्य के लाभ के लिए मामलों के त्वरित निपटान और न्याय के त्वरित वितरण के उद्देश्य से प्रावधान किए जा सकें। राष्ट्रपति ने अधिनियम को अपनी सहमति दे दी है और इसे राज्य राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। अदालतों में बड़ी संख्या में सिविल मामले लंबित हैं।
इसलिए, राज्य सरकार ने उनके त्वरित निपटान को सुनिश्चित करने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता विधेयक में संशोधन किया था। संशोधन विधेयक अब सिविल मामलों में न्याय के त्वरित वितरण को सुनिश्चित करेगा। मध्यस्थों को सिविल विवादों में मध्यस्थता करने का प्रयास करने की अनुमति है और वे 2 महीने के भीतर समझौता कर सकते हैं। यदि वह विफल हो जाता है, तो अदालत तुरंत मुकदमे की कार्यवाही शुरू कर सकती है। यदि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों सहमत हों, तो मध्यस्थता के लिए एक अतिरिक्त महीना होता है। यदि यह सफल नहीं होता है, तो अदालत मुकदमे की कार्यवाही शुरू कर देगी।