
नईदिल्ली, १८ जून ।
केंद्र सरकार ने पूर्व अग्निवीरों के भविष्य को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय को उनके आगे के विकास और समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए 1961 के व्यवसाय नियमों का आवंटन में संशोधन किया गया है। इस नियम में गृह मंत्रालय के राज्य विभाग के तहत एक नया बिंदु जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि गृह मंत्रालय अब पूर्व अग्निवीरों की आगे की प्रगति के लिए समन्वय करेगा। गौरतलब है कि जून 2022 में सरकार ने तीनों सेवाओं की आयु सीमा को कम करने के उद्देश्य से अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की थी। अग्निपथ योजना के तहत चयनित होने वाले साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के अभ्यर्थियों को सेना, वायुसेना और नौसेना में अग्निवीर के रूप में चार वर्ष के लिए भर्ती किया जाता है तथा 25 प्रतिशत अभ्यर्थियों को अगले 15 वर्षों तक बनाए रखने का प्रविधान किया गया है। सरकार ने पहले ही सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी आदि 11 लाख कर्मियों वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में कांस्टेबलों की सभी नियुक्तियों में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित कर दी हैं। सीएपीएफ कांस्टेबल रैंक में लगभग 10-12 हजार कर्मियों की भर्ती करता है। केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों और विभागों ने भी पूर्व अग्निवीरों की भर्ती की योजना की घोषणा की है।
रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में एआर्ई के बढ़ते प्रभाव पर इस महीने के अंत में होने वाली संसदीय समिति की बैठक में चर्चा होगी। बैठक में गृह, रक्षा, ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के केंद्रीय सचिवों के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के उपस्थित होने की संभावना है। बैठक 26 जून को होने वाली है। बैठक के एजेंडे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उद्भव का प्रभाव और संबंधित मुद्दे शामिल हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एआई अब तकनीकी नवाचार के मामले में सबसे आगे है और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली समिति को वरिष्ठ सरकारी अधिकारी विभिन्न क्षेत्रों में इसकी भूमिका के बारे में जानकारी देंगे। सूत्रों ने बताया कि उन्हें भारत की प्रगति और भविष्य की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।