नई दिल्ली। गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने सितंबर 2022 में साबरमती आश्रम के पुनर्विकास को हरी झंडी दी थी। इस परियोजना पर 1200 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। तुषार गांधी ने अपनी याचिका में इस परियोजना को ही चुनौती दी थी।

याचिका में कहा गया कि विकास के नाम पर साबरमती आश्रम का सरकारी अधिग्रहण गांधीवाद की भावना और लोकाचार के विपरीत है। यह कदम संविधान के अनुच्छेद 39 के विरुद्ध है, जो धन संचय की रोकथाम पर जोर देता है। संविधान के अनुच्छेद 49 के भी विरुद्ध है। इसके तहत राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों के संरक्षण पर दिया जाता है।

आश्रम सादगी का प्रतीक

याचिका में कहा गया कि महात्मा गांधी ने आश्रम का डिजाइन स्वयं तैयार किया था। यह सादगी, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक जीवन का प्रतीक है। आश्रम प्रकृति के साथ स्थिरता और सद्भाव के गांधीवादी सिद्धांतों का उदाहरण है। साबरमती आश्रम महात्मा गांधी की विरासत और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अहम भूमिका का प्रमाण है।