
नईदिल्ली, 0७ जून ।
इस महीने की 15-17 जून के बीच कनाडा के कैनानास्किस में दुनिया के सबसे अमीर सात लोकतांत्रिक देशों के संगठन जी-7 की शिखर बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। बैठक में हिस्सा लेने के लिए कनाडा के नए पीएम मार्क जे कार्नी ने पीएम मोदी को फोन पर बात की और उन्हें आमंत्रित किया।पीएम मोदी ने सहर्ष उनका आमंत्रण स्वीकार किया सोशल मीडिया के जरिए बैठक में हिस्सा लेने की सूचना दी। बैठक के दौरान पीएम मोदी और पीएम कार्नी के बीच मुलाकात भी होगी। यह बैठक तकरीबन दो वर्षों से दोनो देशों के रिश्तों में आये तनाव को खत्म कर सकता है। इसके पहले पीएम मोदी ने वर्ष 2015 में कनाडा की यात्रा की थी।वर्ष 2019 से जी-7 की हर बैठक में पीएम मोदी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता रहा है और वह हर बार इसमें हिस्सा भी लेते रहे हैं। एक दिन पहले तक कांग्रेस की ओर से मुद्दा बनाया जा रहा था कि भारत को आमंत्रित नहीं किया गया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि कि कनाडा के पीएम मार्क जे कार्नी से बात करके बहुत खुशी हुई। उन्हें हाल ही में संपन्न चुनाव पर बधाई दी और इस महीने कैनानास्किस में होने वाली जी-7 सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। दो जीवंत लोकतांत्रिक देश जो अपने देशों की जनता के संबंधों से जुड़े हैं, भारत और कनाडा के संबंधों में जोश भरने, परस्पर आदर व हितों के लिए साथ साथ काम करेंगे। सम्मेलन के दौरान हमारी मुलाकात को लेकर मैं उत्सुक हूं।पीएम मोदी का यह संदेश इस बात की तरफ इशारा करता है कि कनाडा की नई सरकार का रवैया पूर्व जस्टिन ट्रुडो सरकार से अलग है। खालिस्तानी समर्थकों ने कनाडा की सरकार से आग्रह किया था कि जी-7 बैठक के लिए भारतीय पीएम को आमंत्रित नहीं किया जाए। इसके बावजूद कार्नी ने मोदी को आमंत्रित करके यह साफ किया है कि वह दोनों देशों के मौजूदा तनावपूर्ण रिश्तों को खत्म करना चाहते हैं। इसके पहले जब विदेश मंत्री एस जयशंकर और कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद के बीच भी टेलीफोन पर द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने को लेकर बात हुई थी।
जयशंकर और आनंद के बीच भारत व कनाडा के द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को लेकर भी बात हुई थी। वैसे कनाडा में भारत विरोधी खालिस्तान समर्थकों का समूह कमजोर नहीं हुआ है और कार्नी के पीएम बनने के बाद भी खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां जारी हैं। भारत और कनाडा के आपसी संबंध सितंबर, 2023 में तब खराब होने शुरू हुए जब पूर्व पीएम ट्रुडो ने अपने संसद में यह आरोप लगाया कि भारतीय एजेंसियां कनाडाई नागरिकों की हत्या करा रही हैं।
इस संबंध में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारतीय एजेंसियों के एजेंटों से कराने का आरोप लगाया गया। इसके बाद दोनों देशों में कूटनीतिक तनाव इस हद तक खराब हो गया कि एक दूसरे के कई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया।भारत ने कनाडा के उच्चायोग में काम करने वालों की संख्या दो तिहाई से भी कम कर दिया है। ट्रुडो सरकार ने बाद में भारत सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों पर आरोप लगाये कि वह कनाडा में हत्या कराने के षडयंत्र से जुड़े हुए हैं।
जबकि भारत का यह पक्ष रहा है कि ट्रुडो राजनीतिक वजह से भारत पर इस तरह के अनर्गल आरोप लगा रहे हैं।ट्रुडो की सरकार खालिस्तान समर्थक राजनीतिक पार्टियों के सहारे थी। इस पूरे प्रकरण ने भारत व कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों को पूरी तरह से पटरी से हटा दिया था।संभव है कि इस महीने के मध्य में मोदी और कार्नी की मुलाकात संबंधों की गाड़ी को फिर से पटरी पर ला दे। वैसे एतिहासिक तौर पर बहुत ही कम भारतीय प्रधानमंत्रियों ने कनाडा की यात्रा की है। बतौर पीएम कनाडा की दो बार यात्रा करने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2010 में कनाडा गए थे।
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