
नईदिल्ली, १५ मई ।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और गुलाम जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। बिना बॉर्डर को पार किए भारत ने आतंकी ठिकानों को खत्म कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने सैन्य अभियानों में भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का परचम लहरा दिया। पाकिस्तान ने भारत के दर्जनों शहरों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले की कोशिश की, लेकिन भारत के इंटीग्रेटेड काउंटर यूएएस ग्रिड और एअर डिफेंस सिस्टम ने इसे बेअसर कर दिया। भारत ने जवाबी कार्रवाई में लाहौर की एअर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर में पिकोरा, ओएसए-एके और एलएलएडी गन के साथ आकाश जैसी स्वदेशी प्रणालियों ने असाधारण प्रदर्शन किया। इस ऑपरेशन में भारत की तीनों सेनाओं ने एक साथ मिलकर दुश्मन को धूल चटाई है। लंबी दूरी के ड्रोन से लेकर लक्ष्य भेदी हथियारों तक भारत के आधुनिक और स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल से हमले काफी प्रभावी रहे।चीन में बनी पीएल 15 मिसाइलें, तुर्किए की यीहा, लंबी रेंज के रॉकेट, क्वाडकॉप्टर और कॉमर्शियल ड्रोन को एअरफोर्स ने ध्वस्त तो किया ही, उनके सबूत पेश कर आतंकियों के मददगारों को आईना भी दिखाया। अपने आकाओं से हथियार लेकर भी पाकिस्तान भारत के एअर डिफेंस को नहीं भेद पाया।आर्मी और एयरफोर्स के काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर असेट और एअर डिफेंस सिस्टम से एक अनोखी डिफेंसिव लेयर बन गई। इसरो का भी काफी योगदान रहा।एक कार्यक्रम में इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कम से कम 10 उपग्रह लगातार चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर केवल सामरिक सफलता की कहानी नहीं है। यह भारत की रक्षा स्वदेशीकरण नीतियों की पुष्टि है।वायु रक्षा प्रणालियों से लेकर ड्रोन तक, काउंटर-यूएएस क्षमताओं से लेकर नेट-केंद्रित युद्ध प्लेटफार्मों तक, स्वदेशी तकनीक ने तब काम किया है जब इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी।