
कोरबा। वह जमाना और था जब खेती को लेकर कहा जाता था कि यह मानसून का जुआ है। यानी खेती की पैदावार और लाभ एवं नुकसान की स्थिति कुल मिलाकर मानसून पर निर्भर हुआ करती थी । समय के साथ बहुत सारे बदलाव आ गए हैं। कृषि अनुसंधान और फसल चक्र परिवर्तन के कारण बदलाव साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। वर्ष 2025 में खरीफ फसलों की पैदावार कोरबा जिले में 1,38,918 हैकटेयर में लक्षित है।
इस लक्ष्य में धान, अनाज, दलहन, तिलहन और सब्जी को शामिल किया गया है। औद्योगिक जिला कोरबा में कृषि का रकबा अभी भी काफी अच्छी स्थिति में है और इसके माध्यम से डेढ़ लाख से भी ज्यादा कृषक अपनी जीविका चराने के साथ जीवन स्तर को बेहतर करने में लगे हुए हैं। किसानों को उनके व्यवसाय की बेहतरी को लेकर कृषि विभाग लगातार व्यावहारिक और तकनीकी मार्गदर्शन देने में लगा हुआ है। खबर के अनुसार वर्ष 2024 की तुलना में वर्ष 2025 के लिए सभी प्रकार की फसलों के लिए नए लक्ष्य रखे गए हैं और इसके हिसाब से काम किया जा रहा है। वर्ष 2024 में खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान 91500 हेक्टेयर में लगाने का लक्ष्य है। अनाज श्रेणी में 104039 हैकटेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य इसमें ज्वार, मक्का, कोदो, कुटकी और रागी को शामिल किया गया है। दलहन फसलों की पैदावार का लक्ष्य 13576 हेक्टर का है। इसमें सर्वाधिक 689 हेक्टेयर में अरहर की फसल ली जाएगी। जबकि 4012 हेक्टेयर में उड़द, 1220 में मूंग और 225 में कुलथी की पैदावार होगी। तिलहन फसल के लिए भी कोरबा जिले में काफी अच्छी संभावना है। 4403 हेक्टेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य मूंगफली रामतिल और तिल के लिए रखा गया है। इनमें सर्वाधिक 2569 हेक्टेयर में तिल 1074 हेक्टेयर में मूंगफली और 760 हेक्टेयर में रामतिल की पैदावार करना लक्षित है। जबकि सब्जी और अन्य फसल 16900 हेक्टेयर में ली जानी है।
नई तकनीक की दे रहे जानकारी
कृषि को लेकर न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर कार्य हो रहा है। स्थानीय स्तर पर कृषि विभाग कृषकों को नए आविष्कार और नई तकनीक की जानकारी दे रहा है। नैनो $फर्टिलाइज़र के साथ-साथ एडवांस इक्विपमेंट और उनके उपयोग से प्रोडक्टिविटी में बढ़ावा से किसानों को अवगत कराया जा रहा है।-डीपीएस कंवर, उप संचालक कृषि