जांजगीर-चांपा। जिले में सरकारी संपत्ति की देखरेख किस कदर होती है इसका जीता जागता उदाहरण जांजगीर चांपा जिले के अमरताल के सरकारी ग्राउंड के संग्रहण केंद्र में देखा जा सकता है। लापरवाही की प्रमुख वजह यह है कि सरकार ही सरकारी नुमाइंदों को धान को सड़ाने की छूट दे रखी है। इसे ऐसे समझे कि सरकार चार महीने में धान को एक ही स्थान में रखे होने से दो फीसदी सुखद की छूट देती है। यानी जिले के संग्रहण केंद्र में यदि 2 अरब रुपए का धान रखा है तो संग्रहण केंद्र प्रभारी व डीएमओ को 4 करोड़ सुखद की छूट मिलेगी। यानी हम यदि चार करोड़ रुपए का धान सड़ा दें तो सरकार इसका 2त्न राशि संबंधित विभाग को देगी
यही वजह है कि डीएमओ धान को सुरक्षित रखने ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसका खामियाजा सरकार को करोड़ों में भुगतना पड़ेगा। आपको बता दें कि अमरताल के धान संग्रहण केंद्र में दो अरब रुपए का धान रखा है यह साढ़े सात लाख क्विटल धान है। जिसमें कैप कवर से ढंका गया है लेकिन कैंप कवर की क्वालिटी घटिया है। इसके चलते तेज आंधी तूफान में कैप कवर सड़ गए और बेमौसम बारिश का पानी कटे फटे कैप कवर से अंदर प्रवेश
कर गया। इसके चलते कई लाख क्विटल धान जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। इन्हें तो सरकार मोटी रकम के रूप में तनख्वाह तो देती ही है साथ ही इन्हें सड़े हुए हुए धान की भरपाई के लिए सुखद की छूट दे रही।
आखिर किसने की कैप कवर की खरीदी ?
कैप कवर की खरीदी में भी व्यापक भ्रष्टाचार किया गया है। कैप कवर की खरीदी जिसने भी की है वह जमकर गड़बड़ी की है। सूत्रों के मुताबिक इसकी सप्लाई भाजपा के सताधारी नेताओं के करीबियों के द्वारा प्रत्येक जिले के संग्रहण केंद्र में की गई है। जितनी गुणवत्ता की कैप कवर होनी चाहिए थी उस गुणवत्ता की कैप कवर की खरीदी नहीं की गई है। यानी खरीदी में अधिकारियों ने खुलकर कमीशनखोरी की है। यही वजह है कि चंद दिनों में ही कैप कवर फट गए।
बारिश में क्या हाल होगा?
अभी आंधी तूफान और बारिश के दिन भी नहीं आए हैं। अमूमन 15 जून से तेज आंधी तूफान व बारिश शुरू होती है। यदि तेज आंधी तूफान और पारिश आए तो संग्रहण केंद्र में रखे 7 लाख क्विटल यानी 2 अरब रुपए के धान का क्या हाल होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं राइस मिलर्स भी अपनी जिम्मेदारी का ठीकरा मार्कफेड के अफसरों पर फोड़ेंगे। क्योंकि मिलर्स को साफ सुथरा धान देने की जिम्मेदारी मार्कफेड के अफसरों की है।
तीन लाख क्विटल धान बिकना बाकी
सरकार जोर-शोर से चाह रही है कि उनका धान जल्द बिके ताकि उनका टेंशन दूर हो, लेकिन अभी भी प्रदेश में लाखों टन क्विटल धान बिकना बाकी है। अकेले जांजगीर की छ करें तो तकरीबन तीन लाख क्विटल धान बिकना बाकी है। जिसकी कीमत 90 करोड़ रुपए हो रहा है। इतने धान की गंभीरता से रखवाली करना शासन का काम है। यदि इतना धान बिक्री करने में शासन देरी करेगी तो बड़े नुकसान की भरपाई करना पड़ेगा।