
नईदिल्ली, २३ जून ।
राजधानी में होटल, मोटल, गेस्ट हाउस, डिस्कोथेक, रेस्तरां, ऑडिटोरियम, मनोरंजन पार्क, वीडियो गेम पार्लर व स्विमिंग पूल खोलना अब कहीं आसान हो गया है। वजह, लाइसेंस राज खत्म करने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ाने के उद्देश्य से एक बड़े नीतिगत बदलाव में। एलजी वीके सक्सेना ने उक्त श्रेणियों में लाइसेंस या अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने की दिल्ली पुलिस की शक्तियों को वापस ले लिया है। अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार के आदर्श वाक्य कई लाइसेंसिंग व्यवस्थाओं को कम कर न्यूनतम सरकार व अधिकतम शासन के अनुरूप है, जिसका पालन विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश करते हैं। यह निर्णय सीएम रेखा गुप्ता द्वारा प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और एलजी से अनुरोध के बाद लिया गया है, जिसमें उन्होंने मौजूदा लाइसेंसिंग व्यवस्था के कारण शहर में व्यापारियों/उद्यमियों के समक्ष आ रही दिक्कतों का निदान करने का अनुरोध किया था। एलजी ने अपने आदेश में उपहार त्रासदी मामले में दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें सिफारिश की गई थी कि दिल्ली पुलिस को केवल कानून और व्यवस्था से संबंधित होना चाहिए और लाइसेंसिंग की जिम्मेदारी सौंपना बल पर एक अतिरिक्त बोझ है। हाइकोर्ट की सिफारिशों की पुष्टि करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने भी सुझाव दिया था कि लाइसेंस देने वाली पुलिस की मौजूदा प्रणाली को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी, जिसमें दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के कानून एवं आइटी विभाग के अधिकारी शामिल थे। समिति की रिपोर्ट पर विचार करते समय, तत्कालीन मुख्य सचिव ने पाया कि दिल्ली पुलिस कर्मचारियों की कमी का सामना कर रही थी, जिससे उसके मूल पुलिसिंग कर्तव्य प्रभावित हो रहे थे। अत: सिफारिश की कि पुलिस को इन सात श्रेणियों के लाइसेंसों को विनियमित करने की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए। चूंकि दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद और दिल्ली छावनी बोर्ड ने भी इन व्यापारिक गतिविधियों को विनियमित करने के लिए कानून बनाए हैं, इसलिए दिल्ली पुलिस अधिनियम के तहत जारी किए गए नियमों के ओवरलैपिंग ने समग्र व्यापार करने में आसानी को प्रभावित किया।
एलजी ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा जैसे प्रगतिशील राज्यों ने पहले ही उपरोक्त श्रेणियों के लिए पुलिस से लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है। इन सात व्यापार श्रेणियों के संबंध में कई नियमों की आवश्यकता पर फिर से विचार करते समय, यह देखा गया कि एलजी को पुलिस आयुक्त को एक सामान्य आदेश या अधिसूचना के माध्यम से प्रासंगिक नियमों को रद्द करने और ओवरलैपिंग अधिकार क्षेत्र से उत्पन्न ऐसी विसंगतियों को दूर करने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने का निर्देश देने की अपनी शक्तियों के भीतर अच्छी तरह से था। एलजी ने अपने आदेश में कहा, दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 4 के साथ धारा 28 (2) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 28 (1) के तहत नियम जारी करने के लिए दिल्ली के पुलिस आयुक्त को दी गई मंजूरी को वापस लेता हूं, जिसमें पैरा 1 में उल्लिखित सात गतिविधियां शामिल हैं ।
और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को तत्काल प्रभाव से उक्त नियमों को निरस्त करने के लिए एक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया जाता है।”दिल्ली के लिए यह ऐतिहासिक पल है। यहां की जनता और कारोबारियों के लिए यह निर्णय न केवल समयानुकूल बल्कि दूरदर्शी, व्यावहारिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। दिल्ली पुलिस पर वर्षों से लाइसेंसिंग की जिम्मेदारी का बोझ था, जिससे न केवल उनकी मूल कानून-व्यवस्था संबंधी जिम्मेदारियां प्रभावित हो रही थीं, साथ ही कारोबारियों को लाइसेंस पाने के लिए काफी समय भी लग रहा था। इससे न केवल प्रशासनिक ढांचे में समन्वय बढ़ेगा बल्कि पुलिस को कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और महिला सुरक्षा जैसे अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।-रेखा गुप्ता, मुख्यमंत्री, दिल्ली