अतिक्रमण से अटका है निर्माण कुसमुण्डा में, लोग परेशान
कोरबा। कोरबा कुसमुंडा मार्ग पर इमलीछापर तिराहे में अतिक्रमण हटाओ अभियान आज दूसरे दिन भी जारी है। पहले दिन यहां कुछ लोगों ने इस मामले को लेकर आपत्ति दर्ज कराई। वहीं प्रशासन का कहना है कि रेल ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए सभी प्रकार के अवरोध को हटाना जरूरी है।
इस इलाके में दिन भर में 24 से अधिक बार मालगाडिय़ों का आवागमन होने के कारण रेलवे क्रॉसिंग बंद की जाती है। इस स्थिति में तीन दिशाओं में जाम की स्थिति निर्मित होती है। यह कहना सही है कि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड प्रबंधन के द्वारा लोगों को सहूलियत देने के लिए एक बाईपास जरूर बनाया गया है लेकिन उसका बहुत ज्यादा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
लगातार ओवर ब्रिज निर्माण की मांग स्थानिय स्तर से होती रही जिसे स्वीकार कर लिया गया। लगभग 2 वर्ष से ओवर ब्रिज का निर्माण जारी है लेकिन अब तक कोई खास प्रगति नहीं हो सकी है। इस काम को आगे बढ़ाने के मामले में आसपास के कुछ कच्चे पक्के मकान बाधक बने हुए हैं जिन्हें प्रशासन ने अतिक्रमण माना है। खबर के अनुसार 2 वर्ष पहले इस मामले में 11 लोगों को नोटिस जारी किया गया था और मौके से हटने के निर्देश दिए गए थे। आगे किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने की प्रत्याशा में यह लोग मौके पर जम रहे। अब जब इलाके में समस्या बढ़ गई और हर कोई परेशान होने लगा तब प्रशासन ने अतिक्रमण को हर हाल में हटाने का विचार रखा और कार्रवाई तेज कर दी। शनिवार से इस अभियान को प्रारंभ किया गया जो आज दूसरे दिन भी जारी है। कहा जा रहा है कि कार्यवाही नियमों के अंतर्गत हो रही है और निश्चित रूप से लोगों को इससे परेशानी हो सकती है। तर्क दिया जा रहा है कि अतिक्रमण के मामलों में ऐसे हालात बनते हैं और यहां से जुड़े मामले को लेकर संबंधितों को पहले ही नोटिस दिया जा चुका था लेकिन उन्होंने व्यवस्था नहीं की। कुष्मांडा के इस समस्या ग्रस्त इलाके में फिलहाल बारिश के कारण कई तरह की मुश्किल है हर किसी के साथ सामने आ रही है और बार-बार यह विषय राज्य सरकार के साथ-साथ प्रशासन के पास पहुंच रहा है। तमाम तरह के दबाव के बीच यहां अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही जारी है। संभावित परिस्थितियों से बचने के लिए यहां पुलिस बल को लगाया गया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि विष्णु देव के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता संभालने के बाद कोरबा जिले में अतिक्रमण के ऐसे अनेक मामलों में कार्रवाई की गई है, जिनके लिए पहले कभी कदम बढ़ाने की आवश्यकता नहीं समझी गई।