कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के गेवरा-दीपका इलाके में कोयला वाहनों की आवाजाही सहित दूसरे मसलों को लेकर समाधान के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। पिछले दिनों दो ओवरब्रिज बनाए जाने को मंजूरी दी गई थी जिस पर लोगों ने अलग-अलग कारणों से आपत्ति व्यक्त की। राइट्स कंपनी को इस काम का जिम्मा मिला हुआ है। खबर के अनुसार उसने अदालत की शरण ली और फैसला उसके पक्ष में आया। कहा जा रहा है कि अब ओवरब्रिज निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो गया है।
कुछ यूनियनों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों और नागरिक संगठनों ने एसईसीएल कालोनी के आसपास से बनाए जाने वाले ओवरब्रिज के औचित्य पर सवाल खड़े किए थे। उनका कहना था कि वर्तमान में वायु प्रदूषण की समस्या नीचे सडक़ पर है और इसके प्रभाव से रिहायशी इलाके के अलावा यहां संचालित विद्यालय, अस्पताल, प्रशिक्षण केंद्र सहित अन्य संस्थाएं प्रभावित हैं। ओवरब्रिज बनने से समस्या का दायरा बढ़ेगा। प्रदूषण जो अब तक नीचे सिमटा हुआ था अब इसका दायरा उपर तक जाने के साथ-साथ इसकी व्यापकता बढ़ेगी। तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए एसईसीएल ने राइट्स नामक संस्था को निर्माण एजेंसी बना दिया। तमाम तरह की बाधाओं के बीच राइट्स ने इस मामले को कोर्ट में पहुंचाया। कुछ महीनों से इस पर लगातार सुनवाई होती रही। दोनों पक्षों ने अपने तरीके से बात रखने की कोशिश की कि ओवरब्रिज बनने से क्या फायदा होगा और नुकसान क्या होंगे। इस मामले में व्यापक नागरिक हितों को लेकर भी बात की गई। बताया गया कि आखिरकार सुनवाई के बाद कोर्ट ने राइट्स के पक्ष में निर्णय दिया। इसमें कई तरह की बातें की गई है और कोयलांचल में ओवरब्रिज के निर्माण को प्रासांगिक बताया गया है।
इस निर्णय की जानकारी होने के साथ एक बार फिर कोयलांचल में सरगर्मी तेज हो गई है कि आगे क्या किया जाए। क्योंकि आपत्ति लगाने वाले का कहना है कि एसईसीएल बेमतलब के कार्यों में धन राशि व्यय कर रहा है और ऐसे कार्यों पर जनहित से लेना-देना बिल्कुल नहीं है। इसलिए सरकारी धन की सुरक्षा के लिए लड़ाई जारी रहेगी।
इमलीछापर की अड़चनें दूर
इधर कुसमुंडा में मालगाड़ी की बार-बार आवाजाही के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या को दूर करने के लिए काफी समय के बाद रेलवे ने ओवरब्रिज बनाना मंजूर किया। इसके लिए काफी धीमी गति से काम चल रहा है। हाल में ही इस इलाके में दो दिवसीय अभियान चलाकर आसपास के अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की गई। इमलीछापर तिराहे पर जल जमाव और जाम की स्थिति के चक्कर में लोग परेशान हो रहे हैं। तथ्य दिया जा रहा है कि अतिक्रमण के कारण ओवरब्रिज का काम लटका हुआ है।
एक फ्लाईओवर फाइलों में
वहीं कोरबा के सीएसईबी चौराहे पर प्रस्तावित फ्लाईओवर फाइलों से आगे नहीं बढ़ सका है। निगम के कई बजट में इसे शामिल किया गया जबकि दो-तीन मौके पर इसका सर्वेक्षण कराने पर भी धनराशि खर्च की गई लेकिन हासिल कुछ नहीं आ सका। सीएसईबी चौराहे से डीएसपीएम तिराहे तक जाम की स्थिति के कारण फ्लाईओवर को जरूरी माना जा रहा है।