बाराद्वार। तहसील दफ्तर में कंप्यूटर आपरेटर का काम देख रहे एक कर्मचारी भृत्य ने लोगों को परेशान कर रखा है। इसके द्वारा खुलेआम पैसों की मांग की जाती है और नहीं देने पर उनका काम लटका दिया जाता है। जमीन दलालों से सांठगांठ और न्यायालयीन कामकाज में उसके बढ़ते दखल से क्षुब्ध अधिवक्ताओं ने भृत्य के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कलेक्टर से शिकायत कर उक्त भृत्य के विरुद्ध सख्त कार्रवाई एवं तत्काल स्थानांतरण की मांग की है। अधिवक्ताओं ने अपने शिकायत पत्र में बताया है कि तहसील कार्यालय बाराद्वार में लंबे समय से कंप्यूटर आपरेटर का पद रिक्त है, इसके चलते इस काम को भी भृत्य इंद्रजीत जांगड़े देखता है। इसके द्वारा इसका अनुचित लाभ लिया जा रहा है, मनमाने तरीके से अवैध वसूली की जा रही है। आय, जाति एवं निवास जैसे जरूरी प्रमाण-पत्र के लिए लोगों से मोटी रकम ली जाती है, पैसे देने वालों का काम तत्काल कर दिया जाता है, वहीं पैसे नहीं देने वाले का काम पेंडिंग में डाल दिया जाता है और उन्हें तहसील के चक्कर लगाने को मजबूर किया जाता है, यही नहीं न्यायालय के प्रकरण भी दर्ज नही करता। उसका संबंध भू-माफिया एवं दलालों से है, मोटी रकम के एवज में उनके काम शीघ्रता से होते हैं। अधिवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि भृत्य इंद्रजीत जांगड़े के द्वारा तहसील न्यायालय में आने वाले प्रतिबंधात्मक धाराओं से जुड़े मामलों में जमानत, मुचलका तथा ऋण पुस्तिका, फौती, नामांतरण के लिए पक्षकारों से सीधे संपर्क कर बड़ा लेनदेन कर प्रकरण निपटा दिया जाता है। पिछले अनेक वर्षों से तहसील कार्यालय में भ्रष्टाचार का खुला खेल जारी है।
पहले भी तहसीलदार के आईडी के दुरूपयोग का लगा था आरोप तहसील दफ्तर में पदस्थ भृत्य इंद्रजीत जांगड़े हमेशा से विवादित रहा है। अधिवक्ताओं ने पहले भी उस पर तत्कालीन तहसीलदार को विश्वास में लेकर उसके आईडी के जरिए भ्रष्टाचार एवं दुव्र्यवहार करने का आरोप लगाया था और प्यून इंद्रजीत जांगड़े के स्थानांतरण की मांग की थी। कार्रवाई नहीं होने से उसका हौसला बुलंद है। अब अधिवक्ताओं ने प्यून को सबक सिखाने का मन बना लिया है।
न्यायालयीन मामलों में बढ़ रहा दखल !
कलेक्टर से की गई शिकायत में अधिवक्ताओं ने उल्लेख किया है कि प्यून एवं कंप्यूटर ऑपरेटर का काम देख रहे इंद्रजीत जांगड़े द्वारा पैसों के लालच में तहसील न्यायालय में आने वाले जमानत, मुचलका तथा ऋण पुस्तिका, फौती एवं नामांतरण जैसे मामलों में सीधे हितग्राही से मिलकर लेनदेन कर प्रकरण निपटा दिए जाते हैं।