जांजगीर-चांपा। जिले की ग्राम पंचायत कुरदा (चांपा) में केंद्र एवं राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन योजना से ग्रामीणों को आज भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल विपरीत है। कुरदा पंचायत में योजना का संचालन तो कागजों पर हो रहा है, परंतु जमीनी स्तर पर ग्रामीण आज भी पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गांव के अनेक मोहल्लों में न तो नलों से पानी आ रहा है और न ही समय पर टैंकर की व्यवस्था की जा रही है। जिन स्थानों पर पाइपलाइन बिछाई गई है, वहां भी या तो पाइपें खराब हो चुकी हैं या फिर उनमें पानी नहीं आ रहा है। कई घरों में नल कनेक्शन ही नहीं दिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार सरपंच एवं पंचायत सचिव से इसकी शिकायत की, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन देकर टाल दिया जाता है। इस स्थिति के लिए सबसे बड़ा कारण ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों और सचिव की उदासीनता है। गांव के सुखसागर माथुर ने बताया कि पंचायत सचिव पिछले एक महीने से गायब हैं। ग्रामीणों के अनुसार वह कार्यालय नहीं आते और फोन करने पर भी कॉल रिसीव नहीं किया जाता।
राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से चलाई जा रही जल जीवन योजना के क्रियान्वयन में प्रशासन की उदासीनता भी प्रमुख कारण है। योजना में सामग्री की खरीदी, निर्माण कार्य और पाइपलाइन बिछाने जैसे कार्यों में अनियमितता की शिकायतें आम हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर गुणवत्ता की जांच करने वाला कोई तंत्र सक्रिय नहीं है। इसके कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। गर्मी के इस मौसम में जब पानी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। तब नलों से एक बूंद पानी नहीं निकलना शासन की नाकामी को दर्शाता है।