कोरबा। विश्व की दूसरी और एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानों में शामिल गेवरा क्षेत्र स्थित भारत पेट्रोलियम की गेवरा प्रोजेक्ट कंज्यूमर सोसायटी लिमिटेड लंबे समय से गैस वितरण प्रणाली का संचालन करती रही है। यह सोसायटी न केवल कोयला खदान में कार्यरत कर्मचारियों बल्कि आसपास के ग्रामीण अंचल के नागरिकों के लिए भी घरेलू गैस की एक प्रमुख सुविधा रही है।
किन्तु बीते छह से आठ माह से यह व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। न तो गैस की आपूर्ति समय पर हो रही है, न ही वितरण केंद्र में कोई सुव्यवस्थित प्रबंधन नजर आ रहा है। स्थिति यह हो गई है कि कोल परियोजना में कार्यरत कर्मचारी अपने कार्यस्थल से समय निकालकर गैस सिलेंडर के लिए सोसायटी के गोदाम और कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इस अव्यवस्था का सीधा असर कोयला उत्पादन पर पड़ रहा है। कोयला उत्पादन में गिरावट की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं, जिससे कार्य प्रभावित हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है? क्या संबंधित प्रबंधन इस समस्या से अनभिज्ञ है, या जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया जा रहा है? यह केवल कर्मचारियों की नहीं, बल्कि सैकड़ों ग्रामीण परिवारों की भी समस्या है जो इस व्यवस्था पर निर्भर हैं। हमारा प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों से आग्रह है कि इस गंभीर और ज्वलंत मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लें, व्यवस्थाओं में सुधार करें और प्रभावित लोगों को राहत दिलाएं। कोल प्रोडक्शन जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लगे कर्मचारियों की ऊर्जा घरेलू सिलेंडर के लिए भटकने में न जाया हो।