
कोरबा । खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने और लोक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कोरबा जिले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने सख्ती बढ़ा दी है। इस वर्ष विभाग ने समोसा, मिठाई, दाल, तेल जैसी 100 खाद्य सामग्रियों के सैंपल लेकर जांच के लिए रायपुर भेजे हैं। साथ ही, बिना लाइसेंस के संचालित 8 संस्थानों के खिलाफ न्यायालय में प्रकरण दर्ज किए गए हैं। विभाग ने बताया कि दो और प्रकरण जल्द ही न्यायालय में पेश किए जाएंगे। खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में कोरबा जिला छत्तीसगढ़ में प्रथम स्थान पर है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 115वें स्थान पर है। नए नियमों के तहत खाद्य सामग्री के अमानक पाए जाने पर जुर्माने की राशि को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है। बिना लाइसेंस के कारोबार करने वालों के लिए जुर्माना 10 लाख रुपये तक बढ़ाया गया है। विशेष रूप से, असुरक्षित खाद्य सामग्री परोसने वाले संस्थानों पर 5 लाख रुपये जुर्माने के साथ 6 माह की कैद का प्रावधान रखा गया है, जो एकमात्र श्रेणी है जिसमें कारावास की सजा बरकरार है। अन्य श्रेणियों में कारावास के प्रावधान को हटाकर जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अनुसार, सुपरमार्केट से लेकर फुटपाथ के स्ट्रीट वेंडर्स तक, सभी खाद्य सामग्री के व्यापारियों के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है। कोरबा में लगभग 700 वेंडर्स रजिस्टर्ड हैं। समय-समय पर विभाग द्वारा सैंपलिंग और जांच की जाती है, जिसके बाद सैंपल लैब में परीक्षण के लिए भेजे जाते हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर स्टैंडर्ड, मिसब्रांड, अनसेफ, और बिना लाइसेंस जैसी चार श्रेणियों में कार्यवाही की जाती है। अनसेफ श्रेणी को सबसे गंभीर माना जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। विभाग की इस सक्रियता से खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है, और नए नियमों के तहत सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। स्थानीय लोग इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं, लेकिन साथ ही मांग कर रहे हैं कि नियमित जांच और पारदर्शी कार्रवाई को और मजबूत किया जाये।