
पुलिस ने आरोपियों को रिमांड पर लिया
पुलिस के अनुसार, आरोपित इंदौर से कागज लेकर आते थे और कलर प्रिंटर की मदद से नकली नोट छापते थे। तीन माह से वे इस धंधे में लगे थे। नोट खपाने के लिए खरीदार ढूंढने के दौरान पुलिस तक सूचना पहुंच गई और मामले का राजफाश हो गया। आरोपितों ने नोट चलाने के लिए जिन लोगों को दिए, उनसे करीब दो लाख रुपये के नोटों की जब्ती अभी बाकी है। पुलिस ने सभी आरोपितों को पूछताछ के लिए तीन दिनों के रिमांड पर लिया है। पुलिस अधीक्षक पुनीत गेहलोद ने बताया कि हाईटेक उपकरणों से नकली नोट बनाने की योजना मुख्य आरोपित सुनील पाटिल ने जेल में तैयार किया था। वह इसके पहले नकली नोट के मामले में ही गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ खंडवा, इंदौर, वडोदरा (गुजरात), एसटीएफ भोपाल और एसटीएफ उज्जैन में भी प्रकरण दर्ज हैं।
500 के नकली नोटों की गड्डियां बरामद
पुलिस ने पहले आरोपित सचिन नागर एवं शुभम वर्मा को एक लाख 96 हजार 200 रुपये के नकली नोटों के साथ पकड़ा। उन्होंने बताया कि एक और आरोपित राजकुमार मालवीय के खेड़ाखजूरिया गांव स्थित घर पर नोट तैयार किए जाते हैं। वहां छापा मारा गया तो राजकुमार नकली नोट तैयार करते पकड़ा गया। मुख्य आरोपित सुनील पाटिल के साथ ही एक और आरोपित शक्ति सिंह भी पुलिस के हाथ लग गया। इन दोनों के पास से 13 लाख 25 हजार के 500 के नकली नोटों की गड्डियां मिलीं।