सूचना के कई घंटे बाद पहुंचे फारेस्ट और पुलिस कर्मी, जमकर हुई लोगों की बहस
समझाइश पर बनी बात तब उठा शव
कोरबा। जिले के केंदई रेंज के बनिया गांव में पिछली शाम हाथी के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई।  अपने गांव लौट रहा था, तब यह घटना हुई। इस सूचना के दो घंटे बाद भी संबंधित कर्मी मौके पर नहीं पहुंचे। आधी रात को फारेस्ट और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो ग्रामीणों ने खरीखोटी सुनायी। पुलिस की समझाईश और आनन फानन में 25 हजार की शुरूआती सहायता के बाद व मृतक के परिजनों के आने पर सुबह 5 बजे शव उठाया गया। खबर के अनुसार पिछली शाम बनिया इलाके में हाथी का हमला हुआ। इस घटना में मुरली गांव के निवासी तीजराम निर्मलकर की मौत हो गई। बनिया में उसका ससुराल है। वह ईंट भट्टा में काम करता था। मृतक अपने एक साथी के साथ शाम को ईंट भट्टा में आग लगाकर घर की तरफ लौट रहा था। तभी हाथी ने दोनों को दौड़ाया। इस घटना में तीजराम को हाथी ने लपेट लिया और मौके पर उसे मौत की नींद सुला दिया। जबकि अपनी युक्ति से तीज राम का साथी जान बचाने को सफल रहा। बताया गया कि लोगों को इस बारे में जल्दी सूचना मिल गई जिस पर उन्होंने फारेस्ट को अवगत कराया। दो घंटे बीतने के बाद भी जिम्मेदार कर्मी नहीं पहुंचे। रात 12 बजे के आसपास फारेस्ट के कर्मी और कोरबी पुलिस का स्टाफ घटना स्थल पहुंचा। इस समय तक ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे चुका था।लोगों ने हाथी के हमले ने ग्रामीण की मौत और सरकारी उपेक्षा को लेकर भड़ास निकाली। कर्मियों की तबियत से खबर ली। ग्रामीणों का कहना था कि वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी यहां आए तभी बात होगी।
दो घंटे की बहस के बाद उठाया शव
कोरबी चौकी प्रभारी एसके जोगी द्वारा अपने स्तर पर लोगों को समझाया गया। ग्रामीण इसी बात पर अड़े थे कि फारेस्ट के बड़े अधिकारी यहां आकर जवाब देही तय करे। लोगों का आरोप था कि हाथी के हमले की घटनाएं बढ़ रही है और फारेस्ट उदासीन है। हमारे संवाददाता ने बताया कि लगभग दो घंटे की बहस और समझाईश के बाद परिजन को फौरी सहायता दी गई। तब शव उठाने पर सहमति हुई। कर्मियों ने शव को खाट में उठाकर पिकअप में रखवाया ताकि अगली सुबह पोस्टमार्टम की प्रक्रिया हो सके।
अब तक सायरन प्रणाली एक्टिव नहीं
जानकारी मिली कि लंबे समय से इस इलाके में हाथियों की सक्रियता बरकरार है और घटनाएं भी हो रही है। लोगों को सचेत करने के लिए जो कुछ होना चाहिए उसकी कमी नजर आ रही है। लोगों की मांग है कि बनिया समेत आसपास के हाथी प्रभावित क्षेत्र में निगरानी सुनिश्चित करे और हाथियों की आमद को लेकर सायरन प्रणाली को एक्टिव किया जाए। लोग यह भी चाहते हैं कि ऐसे मामलों को लेकर अब ऊंट के मुंह में जीरा वाली सहायता के बजाय संपूर्ण जवाबदेही तय होना चाहिए।
दो दशक से जिले में बनी हुई है समस्या
कोरबा जिले में झारखंड और ओडि़सा के रास्ते हाथियों के प्रवेश के साथ जानमाल को नुकसान पहुंचाने की समस्या को दो दशक हो चुका है। कोरबा और कटघोरा वन मंडल के कई रेेंज इसकी जद में हैं। ऐसे मामलों में लोगों की जान जाने का कोई अधिसूचित समय नहीं है। कभी जंगल में उनकी मौत हो रही तो कभी घरों में हाथियों के हमले में जिंदगी की डोर टूट रही है। लगातार कई प्रकार के जतन करने पर भी इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल सका है। लोगों का सवाल है कि केवल नई-नई तकनीक और पैटर्न पर काम करने से आखिर हासिल क्या हो रहा है।
बंधक बनाने का दावा, पुलिस ने कहा-ऐसा नहीं
घटनाक्रम को लेकर इस तरह की अपुष्ट खबरें प्राप्त हुई कि बनिया गांव में नाराज लोगों ने सरकारी अमले को रात से आज भोर 5 बजे तक बंधक बनाए रखा। नाराजगी को इसकी वजह बताया गया। लेकिन पुलिस ने कहा कि ऐसा नहीं है। कोरबी चौकी प्रभारी एस.के.जोगी ने बताया कि मृतक सिल्ली बोइदा का निवासी था। लोग कह रहे थे कि उसके परिजनों को आने दिया जाए। उनकी पहुंच होने तक सुबह हो गई और तब शव यहां से हटाया गया। बंधक वाली कोई बात नहीं।