तमिलनाडु। एक रिटायर पिता को उनके बेटियों ने इस कदर अपमानित किया कि उन्होंने तंग आकर अपनी 4 करोड़ की संपत्ति एक मंदिर को दान में दे दी। उनके इस कदम के बाद अब उनकी बेटियां उन संपत्तियों के वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। यह घटना तमिलनाडु के तिरुवन्नामलै जिला की है। सेना से रिटायर एस. विजयन अपनी बेटियों के अपमान से इस कदर आहत हुए कि उन्होंने यह कदम उठाया।
अरुलमिगु रेनुगम्बाल अम्मन मंदिर प्रशासन के अनुसार, 24 जून को जब मंदिर की दान पेटी खोली गई तो उसमें सिक्कों और नोटों के साथ दो मूल संपत्ति दस्तावेज भी पाए गए। एक संपत्ति 3 करोड़ की और दूसरी 1 करोड़ की थी। इसके साथ ही एक पत्र भी था, जिसमें विजयन ने स्पष्ट लिखा था कि उन्होंने स्वेच्छा से मंदिर को यह संपत्ति समर्पित की है। विजयन अरनी के पास केसवपुरम गांव के रहने वाले हैं। वह रेनुगम्बाल अम्मन के कट्टर भक्त माने जाते हैं। मंदिर अधिकारियों की जांच में पता चला कि वह पिछले 10 वर्षों से अकेले रह रहे थे। पत्नी से उनके मतभेद थे। हाल के महीनों में उनकी बेटियां उन्हें संपत्ति सौंपने के लिए दबाव डाल रही थीं और रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर भी अपमान कर रही थीं। विजयन ने कहा, “मेरे बच्चों ने मुझे मेरे खुद के खर्च के लिए भी ताना दिया। अब मैं यह संपत्ति उस देवी को सौंप रहा हूं, जिसने मुझे जीवन भर संबल दिया।”
मंदिर के कार्यकारी अधिकारी एम. सिलंबरासन ने बताया, “सिर्फ दस्तावेजों को दान पेटी में डालना कानूनी रूप से संपत्ति का हस्तांतरण नहीं माना जा सकता है। जब तक दाता विधिवत रजिस्ट्रेशन विभाग के साथ पंजीकरण नहीं करते, मंदिर को कानूनी अधिकार नहीं मिलेगा।” इसलिए अभी के लिए ये दस्तावेज हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के पास सुरक्षित रखे गए हैं। वरिष्ठ अधिकारी इस पर निर्णय लेंगे कि इन्हें कैसे आगे बढ़ाया जाए। मंदिर अधिकारियों के मुताबिक, दान की गई संपत्तियों में 10 सेंट जमीन मंदिर के पास स्थित है। एक एक मंजिला मकान, जिसकी कीमत करीब 4 करोड़ है। अब जब यह मामला सार्वजनिक हो गया है तो विजयन की बेटियां कथित रूप से संपत्ति को वापस पाने के प्रयास कर रही हैं। लेकिन विजयन ने साफ कहा, “मैं अपने फैसले से पीछे नहीं हटूंगा। मंदिर से बात कर मैं कानूनी प्रक्रिया पूरी करूंगा।”