नई दिल्ली। राजधानी के कुछ निजी स्कूल पिछले कई वर्षों से मनमाने ढंग से अनियमित फीस वृद्धि कर रहे हैं। जिससे मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों पर, काफी वित्तीय दबाव पड़ रहा है।
शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में अभिभावकों की ओर से की गई शिकायतों का संज्ञान लिया है। निदेशालय ने स्कूलों को चेतावनी देते हुए कहा कि जो निजी स्कूल अवैध और मनमाने ढंग से अचानक फीस बढ़ा रहे हैं, उनके खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उच्च स्तरीय टीमों द्वारा शिकायतों का औचक निरीक्षण

निदेशालय के अधिकारी ने कहा कि विभाग निजी स्कूलों द्वारा अवैध रूप से बढ़ाई गई फीस के बारे में मिली शिकायतों पर बारीकी से नजर रख रहा है। जिला मजिस्ट्रेटों की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय टीमों द्वारा शिकायतों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है।

निदेशालय ने कहा कि मनमानी करने वाले स्कूलों पर स्कूल की मान्यता को निलंबित करना और स्कूल प्रबंधन अपने हाथ में लेने की कार्यवाही की जा सकती है। वहीं, ऐसे निजी स्कूलों के खातों का वरिष्ठ लेखा अधिकारियों सहित नामित टीमों द्वारा विशेष आडिट किया जाएगा। 

एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई

वहीं, निदेशालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और वंचित समूह (डीजी) श्रेणियों के तहत प्रवेश की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रवेश के दौरान किसी भी छात्र को उत्पीड़न का सामना न करना पड़े। ईडब्ल्यूएस छात्र को उत्पीड़न का सामना न करना पड़े। ईडब्ल्यूएस व डीजी श्रेणी के छात्रों को किताबें और यूनिफार्म न दिए जाने से संबंधित अभिभावकों की शिकायतों के तुरंत समाधान करने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है।

फीस वृद्धि की समस्या कोरोना के बाद और भी गंभीर

निदेशालय के अधिकारी ने कहा कि फीस वृद्धि की समस्या कोरोना के बाद और भी गंभीर हो गई, जब स्कूलों ने हर साल 25 से 30 प्रतिशत की दर से अपनी फीस बढ़ा दी। उन्होंने कहा कि विभाग को पिछले आठ वर्षों से अभिभावकों की ओर से लगातार फोन आते रहे हैं कि अवैध बकाया राशि का भुगतान न करने के कारण निजी स्कूलों द्वारा दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों को एडमिट कार्ड जारी नहीं किए जा रहे हैं।