
नईदिल्ली, 0६ अप्रैल ।
वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ ईसाई समुदाय की नाराजगी केरल में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। केरल में ईसाई समुदाय की जनसंख्या लगभग 18-20 प्रतिशत है, जो पारंपरिक तौर से कांग्रेस का समर्थन करती रही है। हालांकि कुछ वोट सीपीआई को भी मिलते रहे हैं। दोनों ही पार्टियों ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया है।जाहिर है लंबे वक्त से जनाधार की कोशिश में जुटी भाजपा इसे अवसर के रूप में देख रही है और उसके नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर तत्काल मुनंबम पहुंच गए जहां 600 परिवारों की 400 एकड़ जमीन वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी गई है। दरअसल केरल के ईसाई समाज के बड़े संगठनों कैथोलिक आर्कविशप कौंसिल और साइरो-मालाबार चर्च ने केरल के सभी सांसदों से विधेयक का समर्थन करने की अपील की थी। इसके बाद राष्ट्रीय कैथोलिक आर्कविशप काउंसिल ने भी इसी तरह की अपील की थी। यही नहीं, केरल के चर्च द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र दीपिका ने संपादकीय लिखकर वक्फ संशोधन विधेयक को देश में पंथनिरपेक्ष राजनीति की परीक्षा करार दिया था। इस संपादकीय के अनुसार केरल वक्फ बोर्ड द्वारा 2022 में मुनंबम की जमीन को वक्फ घोषित करने के मामलों को राजनीतिक दलों को गंभीरता से लेना चाहिए और इस ज्यादती के खिलाफ ईसाई समुदाय के लोगों के पक्ष में खड़े होना चाहिए, लेकिन माकपा और कांग्रेस दोनों ने ईसाई समुदाय की इस अपील को ठुकरा दिया। दरअसल कांग्रेस के लिए दुविधा की वजह केरल का बड़ा मुस्लिम वोटबैंक है। केरल की जनसंख्या का लगभग 24 प्रतिशत मुस्लिम मुख्य रूप से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का समर्थक है। आइयूएमएल कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की अहम सदस्य है और 1978 से इसमें शामिल है। गांधी परिवार के वायनाड की सुरक्षित सीट की वजह भी आइयूएमएल है।
वक्फ संशोधन विधेयक ने यूडीएफ के कोर वोटबैंक ईसाई और मुस्लिम को आमने-सामने कर दिया है। राजीव चंद्रशेखर के सामने जिस तरह से मुनंबम के 50 लोग भाजपा में शामिल हो गए, वह केरल में राजनीति की नई बयार की बानगी माना जा रहा है। भाजपा में शामिल होने वाले ये लोग कांग्रेस और माकपा दोनों से जुड़े रहे हैं। यही नहीं, इस मुद्दे पर इडुक्की जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव बेन्नी पेरूवनथनम ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। आने वाले दिनों में ऐसे इस्तीफों की संख्या बढ़ सकती है। दरअसल केरल में अगले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव होना है ।
और 2016 से मुख्यमंत्री बने पी विजयन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए कांग्रेस वापसी की उम्मीद कर रही है, लेकिन ईसाई समाज की नाराजगी कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है।