नई दिल्ली। गुरुवार का दिन अगर भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए गमों का पहाड़ लेकर आया था तो शुक्रवार का दिन भी खासा परेशानियों वाला रहा। इजरायल-ईरान युद्ध ने भारत से यूरोप और अमेरिका को जाने वाली उड़ानों के लिए काफी मुश्किलें पैदा कीं। इजरायल और ईरान के हवाई क्षेत्रों के बंद होने की वजह से दुनिया भर की दर्जनों एयरलाइनों की सैकड़ों उड़ानों पर असर पडऩे की सूचना है। एअर इंडिया की कई उड़ानों पर असर पड़ा है। कुछ उड़ानें रद भी हुई हैं। हजारों यात्रियों के लंदन, दुबई, अबू धाबी, रियाद, फ्रैंकफर्ट जैसे हवाई अड्डों पर फंसे होने की सूचना है।अगर ईरान और इजरायल आगे भी एक-दूसरे पर हमला करते हैं तो यह स्थिति और बिगड़ सकती है। दूसरी तरफ एअर इंडिया की थाइलैंड से नई दिल्ली आने वाली एक उड़ान को बम की सूचना होने की वजह से आपातकालीन परिस्थितियों में फुकेट में उतारना पड़ा। भारत का नागरिक उड्डयन क्षेत्र दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाला सेक्टर है। 15 प्रतिशत की सालाना रफ्तार से बढऩे वाला यह उद्योग अभी विश्व में तीसरे स्थान पर है। लेकिन हालिया घटनाक्रम ने इसकी संभावनाओं को धुंधला किया है।पहले ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया, जिसकी वजह से भारत से शुरू होने वाली उड़ानों को लंबी दूरी तय करके यूरोप व अमेरिका जाना पड़ रहा है। इससे इनकी लागत पहले से ही बढ़ी हुई है।अब अगर ईरान व इजरायल के बीच स्थिति ज्यादा बिगड़ती है तो दुनिया की विमानन कंपनियों के साथ भारतीय विमानन कंपनियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। भारत आने जाने वाली उड़ानों को और ज्यादा लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है। इसका असर किराये पर भी दिखेगा। ईरान के हवाई क्षेत्र से दूरी बनाने की वजह से मुंबई या अहमदाबाद या नई दिल्ली से यूरोप जाने वाली उड़ानों को उत्तरी अफ्रीका के पास से गुजरना होगा। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे सामान्य किराये में 10-20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। केएलएम, ब्रिटिश एयरवेज, एयर डेल्टा जैसी अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों ने साफ संकेत दिया है कि उनकी बढ़ती लागत का बोझ ग्राहकों पर डाला जा सकता है।लंबी दूरी की लागत के साथ ही एअर इंडिया एआई-171 हादसे की वजह से विमानन सेक्टर में बीमा की लागत पर भी असर पडऩे की बात कही जा रही है।पूर्व में भी यह देखा गया है कि जब कोई बड़ी हवाई दुर्घटना होती है तो बीमा कंपनियां सभी के लिए लागत बढ़ा देती हैं। बीमा प्रीमियम में यह असर अगले वर्ष से दिखाई देने की संभावना है। बीमा क्षेत्र के विशेषज्ञों का आकलन है कि अलग-अलग विमानों के लिए पांच से 15 प्रतिशत तक ज्यादा बीमा प्रीमियम महंगा हो सकता है।