कोरबा। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर मराठा साम्राज्य की एक महान शासिका थीं। समाज कल्याण, धर्मनिष्ठ और न्याय प्रियता जैसे गुण उनके भीतर काफी मजबूती से समाहित थे। अपने जीवन काल में उन्होंने ऐसे अनेक कार्य किया और विराट समाज के सामने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया। आज उनकी जन्म जयंती पर समसामयिक प्रसंग का स्मरण करना अपरिहार्य हो जाता है।
31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गाँव में जन्मी अहिल्याबाई असाधारण साहस, न्यायप्रियता और लोकसेवा के लिए जानी जाती हैं। अहिल्याबाई का विवाह मालवा के शासक खांडेराव होल्कर से हुआ था। पति और ससुर की मृत्यु के बाद उन्होंने राज्य की बागडोर अपने हाथों में ली और कुशलता से शासन किया। अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल (1767-1795) में सामाजिक न्याय, जनकल्याण और धार्मिक सहिष्णुता को प्राथमिकता दी। उन्होंने सडक़ों, घाटों, धर्मशालाओं और मंदिरों का निर्माण कराया।
काशी का विश्वनाथ मंदिर, गंगाघाट और अयोध्या, मथुरा, रामेश्वरम जैसे तीर्थ स्थलों का पुनर्निर्माण उनके कार्यों की मिसाल है। वे विधवाओं और गरीबों की मदद करती थीं और कर संग्रह में भी न्यायपूर्ण व्यवहार करती थीं। उनका जीवन त्याग, सेवा और धर्मनिष्ठा का प्रतीक है। उन्हें लोकमाता की उपाधि जनता ने प्रेमपूर्वक दी। अहिल्याबाई होल्कर आज भी भारतीय नारी शक्ति, न्याय और प्रशासनिक कुशलता की प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं। उनका योगदान इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।