
संदिग्ध नजर आने वाले भी निशाने पर
कोरबा। पहलगाम अटैक में 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या के बाद चौतरफा घुसपैठ करने वालों की खोजबीन का काम तेज हो गया है। सरकार के निर्देश पर कोरबा जिले में विभिन्न रिहायशी क्षेत्रों में इस प्रकार का कार्य किया जा रहा है। किरायेदारों का सत्यापन करने के साथ पिछले दिनों कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई थी। पुलिस ने साफ तौर पर कह दिया है कि मकान को बिना सत्यापन के किराए पर देने वाले मकान मालिकों के खिलाफ ऐसे मामलों में कार्रवाई होगी।
कोरबा नगर के साथ-साथ बालको नगर, कुसमुंडा, दीपिका, कोरबा और बाकी मोगरा जैसे इलाकों में पुलिस ने इस अभियान को तेज किया है। सबसे ज्यादा महत्व इस इस बात पर है कि दूसरे प्रदेशों के कितने लोग आसपास में रह रहे हैं और उद्योगों में काम कर रहे हैं। उनके रहने का ठिकाना क्या है और वह परिसर किसके स्वामित्व का है। संबंधित मकान मालिक ने ऐसे लोगों का सत्यापन पुलिस में कराया है या नहीं। इसके अलावा कई आधार पर संदिग्ध नजर आने वाले लोग भी पुलिस की कार्रवाई के दायरे में है। औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे लोगों की जांच पड़ताल कुछ ज्यादा की जा रही है। याद रहे पिछले दिनों कोरबा के खरमोरा और बालको नगर क्षेत्र में ऐसे काफी लोग पकड़ में आए थे जो पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले के रहने वाले हैं। खास बात यह है कि ठेकेदार ने इन लोगों को यहां लाकर काम पर लगा लिया और इसके बारे में पुलिस को जानकारी नहीं दी। इस प्रकरण में मकान मालिकों से भी पूछताछ की गई और फैक्ट्री प्रबंधन से भी। खबर के अनुसार पूरे अभियान के पीछे इस बात को भी ध्यान में रखा गया है कि इलाके में कहीं कोई बांग्लादेशी घुसपैठियों तो नहीं है जो फर्जी दस्तावेज के जरिए भारत में प्रवेश करने के बाद यहां तक पहुंच गए हैं। हाल में ही इस तरह की एक जानकारी कुछ संचार माध्यम में वायरल हुई की कोरबा में बिजली उत्पादन कंपनी में दो बांग्लादेशियों के काम करने का पता चला है। कोरबा की सीएसईबी चौकी और सिविल लाइन पुलिस ने ऐसी किसी जानकारी से साफ इनकार किया। पुलिस का कहना है कि सूचना संज्ञान में आई तो उसके द्वारा बिजली कंपनी प्रबंधन से चर्चा की गई जिस पर अधिकारी ने भी इस बारे में अनभिज्ञता जताई।