
कोरबा । सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना एसईसीएल दीपका कोयला खदान के विस्तार के लिए हरदीबाजार की जमीन का अधिग्रहण किया गया है। भू-अर्जन के 21 साल बाद प्रभावितों के मकानों व अन्य परिसंपत्तियों का सर्वे कराने तहसीलदार की उपस्थिति में प्रबंधन के साथ वार्ता विफल हो गई। ग्रामीणों ने एसईसीएल की नीतियों का विरोध जताया। पूर्व में प्रबंधन को सौंपे 17 सूत्रीय मांग पत्र पर कोई विचार नहीं करने पर भी नाराजगी जाहिर की।जानकारी के अनुसार साल 2004 से 2010 के बीच ग्राम हरदीबाजार का दो हिस्से में अधिग्रहण के बाद लगभग 21 साल का लंबा समय गुजर गया। अब माइंस विस्तार से जमीन पर खनन का कार्य शुरू करने एसईसीएल प्रबंधन की ओर से पहल शुरू की गई है। इसी के मद्देनजर ग्राम पंचायत भवन हरदीबाजार में तहसीलदार की उपस्थिति में एसईसीएल दीपका एरिया के अधिकारियों के साथ प्रभावितों की वार्ता हुई। पूर्व में 17 सूत्रीय मांगपत्र प्रबंधन को सौंपा था। ग्रामीणों ने कहा कि इस पर कंपनी मुख्यालय के अधिकारियों से चर्चा कर निर्णय लेने का आश्वासन दिया था, मगर इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। भू-अर्जन के बाद जमीन की खरीदी-बिक्री भी हुई है। एसईसीएल के अधिकारियों ने नियमानुसार पुराने खातेदारों को ही जमीन का मुआवजा के हकदार होने की बात कही। इस पर जमीन की रजिस्ट्री होने से खरीदार को पूर्ण भूस्वामी मानने और जरूरी सुविधाओं का 100 फीसदी लाभ दिलाने की मांग उठाई। खदान प्रभावितों ने कहा कि बसाहट नहीं लेने पर वर्तमान बाजार दर के हिसाब से 15 लाख रुपए एकमुश्त मुआवजा दिया जाए। मकान व अन्य परिसंपत्तियों के मुआवजा के निर्धारण की जानकारी प्रभावितों को नहीं दी है। नौकरी की पात्रता रखने वाले भू-विस्थापितों की जानकारी भी साझा नहीं की गई है। बताया जा रहा हैं की ये सभी मुद्दे 17 सूत्रीय मांगपत्र में शामिल हैं, मगर एसईसीएल दीपका एरिया प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी अब तक स्पष्ट जानकारी नहीं दे सके हैं।
दूसरी ओर परिसंपत्तियों का मुआवजा देने सर्वे का कार्य शुरू कराने के प्रयास में प्रबंधन लगा हुआ है। ऐसे में मनमानी पूर्वक सर्वे कार्य कराने का विरोध किया जाएगा। सरपंच ग्राम पंचायत हरदीबाजार के सरपंच ने कहा कि पूर्व में एसईसीएल दीपका एरिया प्रबंधन को मांगपत्र सौंपा था, जिस पर अब तक कोई पहल नहीं की गई है। वार्ता में भी इस पर सकारात्मक चर्चा नहीं हो पाई। प्रभावितों ने परिसंपत्तियों के लिए मुआवजा निर्धारण की जानकारी देने और मकान तोडऩे से पहले आधी राशि का भुगतान करने की मांग की गई, मगर इस पर अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।एसईसीएल कोरबा एरिया की मानिकपुर माइंस का विस्तार करने भिलाईखुर्द क्रमांक-1 के प्रभावितों को मनाने में प्रबंधन जुटा हुआ है। वहां के मकानों के नापी सर्वे का विरोध हो चुका है। प्रभावितों ने कहा कि 63 साल पहले एसईसीएल ने जमीन का अधिग्रहण किया है। भिलाईखुर्द क्रमांक-1 के साथ ही रापाखर्रा, ढेलवाडीह, कर्रानारा, बरबसपुर की जमीन का एसईसीएल प्रबंधन ने अधिग्रहण किया है।