कुछ महीने पहले रुपए खर्च हुए थे काम पर
कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड कोरबा क्षेत्र के सिविल विभाग द्वारा 4 महीने पहले ही सुभाष ब्लॉक मुख्य मार्ग का डामरीकरण कराया गया था। सीमित समय में ही कई जगह सडक़ उखड़ गई है और इसमें गड्ढे हो गए हैं। यह दिखाते हैं कि निर्माण के समय क्वालिटी और मॉनिटरिंग किस स्तर की राही।
कोयला कंपनी के निर्माण कार्यों पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं और ऐसा एक बार फिर हुआ। एसईसीएल ने ठेके पर सडक़ डामरीकरण कराया था। काफी जल्दबाजी में इस काम को किया गया। उस समय इस प्रकार की क्लेम किए जा रहे थे कि यह काम टिकाऊ साबित होगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हालात ऐसे हैं कि कालीबाड़ी तिराहा से कोलियरी मस्जिद तक बीच में कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं और सडक़ एक प्रकार से गायब हो गई है। बारिश होने पर गड्ढे में बर्फ पानी लोगों को कंफ्यूज करता है कि यहां से बचें या पर हो जाए। रोज आवागमन करने वाला वर्ग इस बात को जानता है कि मुश्किल कहां पर है लेकिन अनजाने लोग अनहोनी का शिकार हो जाते हैं। लगातार इस प्रकार की परिस्थितियों निर्मित हो रही है और इसकी जानकारी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अधिकारियों तक पहुंच भी रही है। हैरानी की बात यह है की ना तो सीजीएम ध्यान दे रहे हैं और ना ही सिविल विभाग के स्टाफ ऑफिसर। और तो और कॉन्ट्रैक्ट एजेंसी पर इस बात के लिए दबाव भी नहीं बनाया जा रहा है कि वह अपने घटिया काम की वजह से लोगों को हो रही परेशानी का समाधान करने का रास्ता निकाले। हमारे सूत्रों ने बताया कि सीसीएल में सिविल वर्क मार्जिन के आधार पर जारी होते हैं और यही एक खास वजह है कि ऐसे मामलों में ना तो निगरानी होती और ना ही क्वॉलिटी मेंटेन को लेकर ध्यान देने की जरूरत समझी जाती। कहा जा रहा है कि जब अधिकारियों को सिर्फ कमिश्न से मतलब होगा तो कॉन्ट्रैक्ट एजेंसी को चिंता किस बात की। सीजीएम कार्यालय से मानिकपुर कालोनी को जाने वाले रास्ते में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। मानिकपुर पोखरी के नजदीक की सडक़ भी टूट-फूट का शिकार है। स्थानीय लोगों सुधार के लिए ध्यानाकर्षित कराया लेकिन बात नहीं बनी।