कोरिया बैकुंठपुर। मानसून की दस्तक ने जहां एक ओर लोगों को राहत दी है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था की पोल खोल दी है। बारिश शुरू होते ही 11 केवी बिजली लाइनें बार-बार फॉल्ट का शिकार हो रही हैं। ग्रामीण फीडरों में लगातार फॉल्ट आने से कई-कई घंटों तक बिजली गुल रहती है, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे चिंताजनक स्थिति तब बन जाती है जब फॉल्ट सुधरवाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि बिजली विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी है।
33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र बैकुंठपुर और मनसुख के अंतर्गत आने वाले टेंगनी, जगतपुर, मेको, नगर और कंचनपुर जैसे पांच ग्रामीण फीडरों की हालत सबसे खराब है। ये सभी फीडर लगभग 100 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इनमें बारिश के समय 11 केवी के तार टूटने या किसी न किसी तकनीकी कारण से फॉल्ट आना एक आम समस्या बन गई है। स्थिति यह है कि एक बार लाइन बंद होने के बाद उसे दुरुस्त करने में विभाग को 10 से 12 घंटे तक का समय लग जाता है।
स्थानीय लोगों और विभागीय सूत्रों की मानें तो फॉल्ट की जानकारी मिलते ही कर्मचारी मौके पर पहुंचने की कोशिश करते हैं, लेकिन विभाग में लाइनमैन और तकनीकी स्टाफ की संख्या सीमित होने के कारण सभी जगह एक साथ व्यवस्था बहाल करना संभव नहीं हो पाता। जिससे एक ही कर्मचारी को 15-20 किलोमीटर दूर-दूर तक फॉल्ट देखने जाना पड़ता है। कई बार तो ऐसे हालात बन जाते हैं कि पूरी रात बिजली गुल रहती है और ग्रामीणों को अंधेरे में ही रात बितानी पड़ती है।
बारिश के कारण न केवल बिजली व्यवस्था बिगड़ रही है बल्कि अंधेरा होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में सर्प और बिच्छुओं का खतरा भी बढ़ जाता है। अंधेरे में अक्सर सांप घरों में घुस जाते हैं, जिससे जान-माल का खतरा बढ़ जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले बिजली रहने से ऐसी घटनाएं कम होती थीं लेकिन अब जब-तब लाइन बंद हो जाती है, तो डर बना रहता है।
ग्रामीण रामप्रताप चिकंजूरी बताते हैं, मेको फीडर में पिछले सप्ताह तीन बार लाइन फॉल्ट हुआ। एक बार तो 16 घंटे बिजली नहीं थी। ना मोबाइल चार्ज हो पाया, ना ही बच्चे पढ़ पाए। विभाग को फोन करो तो जवाब मिलता है – स्टाफ नहीं है, फॉल्ट ठीक होने में वक्त लगेगा। सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामपंचायत सलका सरपंच श्रीमती दुर्गा बताती हैं, जब तक कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी और तकनीकी सुधार नहीं किए जाएंगे, तब तक हर साल बारिश में ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर होंगे।
बारिश में बिगड़ी आपूर्ति, किसान भी परेशान
इस समय जब खेतों में धान की रोपाई का कार्य शुरू हो गया है, बिजली कटौती ने किसानों को भी परेशान कर दिया है। मोटर चलाकर खेतों में पानी देने वाले किसान जब बिजली का इंतजार करते हैं और वह नहीं आती, तो उनका समय और मेहनत दोनों बर्बाद होता है। कई किसानों को डीजल इंजन का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे उनकी लागत में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है। किसान रमेश ने बताया, हमारे खेत में पंप है, लेकिन तीन दिन से कभी बिजली रहती है, कभी नहीं। रात भर जागकर इंतजार करते हैं कि कब लाइन आए और पानी दें। डीजल इंजन चलाने से खर्च बहुत बढ़ गया है।
तकनीकी संसाधन भी सीमित
सूत्रों के अनुसार विद्युत उपकेंद्रों में न केवल मानव संसाधन की कमी है, बल्कि तकनीकी संसाधन भी सीमित हैं। फॉल्ट ढूंढऩे और मरम्मत करने के लिए पर्याप्त वाहन, उपकरण और सुरक्षा किट उपलब्ध नहीं हैं। जिससे कर्मचारियों को बारिश के समय भी असुरक्षित तरीके से काम करना पड़ता है।
मांग: हो स्थायी समाधान
ग्रामीणों ने प्रशासन और बिजली विभाग से मांग की है कि मानसून के मौसम में बिजली आपूर्ति की समस्या को गंभीरता से लिया जाए। 11 केवी की पुरानी और जर्जर लाइन को बदला जाए, फॉल्ट के त्वरित सुधार के लिए पर्याप्त स्टाफ की तैनाती की जाए और विद्युत उपकेंद्रों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जाए।