नई दिल्ली। पिछले कुछ हफ्तों से मिडिल-ईस्ट में बढ़ते तनाव के कारण दुनिया भर में चिंता का माहौल है। हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले के बाद खबरें आई हैं कि ईरान स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ को बंद करने की योजना बना रहा है। यह वही समुद्री मार्ग है जिससे दुनिया का लगभग 20% तेल और गैस की आपूर्ति होती है। भारत भी इस स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।

भारत की तैयारी

  • केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हम बीते दो हफ्तों से मिडिल-ईस्ट की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
  • केंद्रीय मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है और अब हमारी बड़ी मात्रा में तेल आपूर्ति स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज के रास्ते नहीं आती।
    • हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों तक की सप्लाई मौजूद है और अन्य रास्तों से ऊर्जा आपूर्ति जारी है। हम अपने नागरिकों को ईंधन की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।

    तेल की कीमतों पर असर की संभावना

    • सूत्रों के हवाले से बताया कि तेल और गैस का क्षेत्र बेहद संवेदनशील होता है और मामूली रुकावट भी वैश्विक क्रूड ऑयल की कीमतों को बहुत बढ़ा सकती है।
    • अगर स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज एक हफ्ते से ज्यादा समय तक बंद रहा तो इसका सीधा असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और भारत भी इसके दुष्प्रभाव से अछूता नहीं रहेगा।
      • एक सूत्र ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह संकट अल्पकालिक होगा और स्थिति जल्द सामान्य हो जाएगी।
      • भारत ने हाल के वर्षों में रूस से भी तेल आयात करना शुरू किया है, लेकिन यह आयात केवल तभी फायदेमंद रहता है जब वहां से मिलने वाली छूट और वैश्विक तेल कीमतें अनुकूल हों।

      सरकार की संभावित रणनीति

      • सूत्रों के हवाले से कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती हैं, तो सरकार ईंधन पर लगने वाले उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) की समीक्षा कर सकती है।
      • यह निर्णय आम जनता को राहत देने और महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने की दिशा में एक कदम हो सकता है।