कोरिया बैकुंठपुर। प्रदेश की सरकार द्वारा अस्पतालों में होने वाली गतिविधियों एवं स्वास्थ्य सेवाओं की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है, बल्कि यह स्वस्थ लोकतंत्र की मूल भावना के भी विपरीत है। राज्य शासन के हालिया आदेश में मीडिया प्रतिनिधियों को अस्पताल परिसर में रिपोर्टिंग करने से रोका गया है, जिससे यह स्पष्ट संदेश जा रहा है कि सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई जनता तक पहुंचने नहीं देना चाहती।
स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। पत्रकार लंबे समय से अस्पतालों की दुर्दशा, चिकित्सकों की कमी, दवाइयों के अभाव और मरीजों को होने वाली परेशानियों को उजागर करते आ रहे हैं। मीडिया के माध्यम से ही आम जनता को पता चलता है कि सरकारी योजनाएं और स्वास्थ्य सुविधाएं जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी हैं। ऐसे में इस प्रकार का प्रतिबंध लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन प्रतीत होता है।
राज्य सरकार का तर्क है कि मीडिया रिपोर्टिंग के कारण अस्पतालों में बाधा उत्पन्न होती है और मरीजों की निजता प्रभावित होती है। परंतु सच्चाई यह है कि पत्रकारों का उद्देश्य कभी भी स्वास्थ्य सेवा में अवरोध पैदा करना नहीं होता, बल्कि वे केवल जनहित के मुद्दों को सामने लाते हैं। इस आदेश से स्पष्ट है कि शासन मीडिया की निगाहों से अस्पतालों की वास्तविक स्थिति को छिपाना चाहता है, जो कि बेहद चिंताजनक है। मीडिया संगठनों, पत्रकार संघों और बुद्धिजीवियों ने इस आदेश की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यदि अस्पतालों में सब कुछ व्यवस्थित है, तो मीडिया से डरने की क्या आवश्यकता है।