कोरबा । छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेशभर में लागू की जा रही स्कूल युक्तियुक्तकरण नीति के विरोध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकमपा) जिला परिषद कोरबा ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। पार्टी ने इस नीति को ग्रामीण, आदिवासी व पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों के हितों के विरुद्ध बताते हुए तत्काल रद्द करने माँग की। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि राज्य सरकार द्वारा 10,443 स्कूलों के युक्तियुक्तकरण का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को अन्य विद्यालयों में विलय किया जा रहा है। इससे दूरस्थ और आदिवासी इलाकों में शिक्षा बाधित होगी और स्कूल बंद होने की आशंका बढ़ेगी। भाकमपा ने इसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विपरीत बताया। उन्होंने कहा की युक्तियुक्तकरण नीति के तहत शिक्षकों को अतिशेष घोषित कर मनमाने ढंग से स्थानांतरित किया जा रहा है। 2008 के सेटअप को बदलकर शिक्षकों के पद घटाए जा रहे हैं, जिससे कार्यभार बढ़ेगा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित होगी। शिक्षक भर्ती की आवश्यकता को जानबूझकर कम दिखाया जा रहा है, जिससे लगभग 10,000 पदों पर भर्ती की संभावना समाप्त हो रही है। रसोइया, सफाईकर्मी, चौकीदार आदि के बेरोजगार होने का भी खतरा है। उन्होंने मांग करते हुए कहा की युक्तियुक्तकरण की वर्तमान नीति तत्काल रद्द की जाए। अतिशेष शिक्षकों का समायोजन पारदर्शी व न्यायसंगत तरीके से किया जाए। राज्य में रिक्त 15,000 शिक्षक पदों पर त्वरित भर्ती प्रक्रिया शुरू हो। ग्रामीण व आदिवासी अंचलों में स्कूलों को बंद करने की बजाय वहाँ शिक्षक उपलब्ध कराए जाएँ। नीति निर्धारण में शिक्षक संगठनों, पंचायतों और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता हो। निजी स्कूल संचालन की अनुमति पंचायत व ग्रामसभा की सहमति से ही हो। सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के बच्चों को शासकीय स्कूलों में पढ़ाना अनिवार्य किया जाए। शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए स्कूल के समीप आवासीय सुविधा सुनिश्चित की जाए। भाकमपा ने चेतावनी दी कि यदि मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो पार्टी व्यापक जनआंदोलन करेगी, जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। ज्ञापन सौंपते समय जिला सचिव पवन कुमार वर्मा, सह सचिव धर्मा राव, अनूप सिंह, कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।