
जांजगीर। जिले में गर्भवती महिला और नवजात के इलाज के नाम पर लापरवाही का मामला सामने आया है। बसंतपुर निवासी जितेन्द्र साहू ने जिला अस्पताल प्रबंधन और आयुष्मान हॉस्पिटल के संचालक डॉ. आरके प्रसाद व उनके स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पीडि़त जितेन्द्र का कहना है कि शनिवार रात दो बजे पत्नी शिवरात्रि साहू को प्रसव पीड़ा होने पर जिला अस्पताल लाया गया। वहां स्टाफ ने बताया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ मौजूद नहीं हैं। उसे किसी और अस्पताल ले जाने को कहा गया। उसके बाद वह पत्नी को पुराने जिला अस्पताल ले गया। वहां स्टाफ ने अधूरा प्रसव कराकर चांपा के डॉ. अतुल राठौर के अस्पताल रेफर कर दिया। चांपा में बड़ी सर्जरी से बच्चे का जन्म हुआ। डॉक्टरों ने बताया कि नवजात को हिचकी आ रही है, इसलिए उसे जांजगीर के आयुष्मान हॉस्पिटल ले जाएं। जितेन्द्र नवजात को लेकर आयुष्मान हॉस्पिटल पहुंचा। वहां बताया गया कि इलाज आयुष्मान कार्ड से होगा, लेकिन आठ-दस दिन लग सकते हैं। उसने बच्चे को भर्ती करवा दिया।जितेन्द्र का आरोप है कि बाद में हॉस्पिटल ने कहा कि आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होगा। नगद पैसे देने होंगे। उसने गरीबी की बात कही, फिर भी हॉस्पिटल प्रबंधन ने कभी पांच हजार, कभी दस हजार रुपए लिए। जब उसने बच्चे को देखने की बात कही, तो एक स्वस्थ बच्चा दिखाकर कहा गया कि सब ठीक है। बाद में जब उसने पास जाकर देखने की जिद की, तब बताया गया कि नवजात की कुछ समय पहले ही मौत हो चुकी है। शव ले जाने के लिए छह हजार रुपए और मांगे गए। जितेन्द्र का कहना है कि मंगलवार दोपहर उसे बच्चे की मौत की जानकारी दी गई, जबकि उसे शक है कि बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी थी।