भारत-पाकिस्तान ने 80 घंटों से ज्यादा समय तक चले तनाव के बाद शनिवार शाम को सीजफायर की घोषणा की है. हालांकि, इस घोषणा के बाद भी पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया था, जिसका भारतीय सेना ने जवाब भी दिया. पाकिस्तान के साथ हुए संघर्षविराम के बाद अब सोशल मीडिया पर PAK के साथ हुए इस संघर्ष की तुलना में 1971 में हुए युद्ध से की जा रही है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जारी बहस के बीच इसे लेकर अब कांग्रेस नेता शशि थरूर का एक बड़ा बयान सामने आया है. जबकि कांग्रेस मोदी सरकार की युद्ध नीति की आलोचना कर रही हैं

नई दिल्ली:भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौते पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 1971 के नेतृत्व को उभारते हुए मोदी सरकार के युद्ध नीति की आलोचना की, वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक संतुलित रुख अपनाया. उन्होंने स्पष्ट किया कि 1971 और 2025 की परिस्थितियां पूरी तरह अलग हैं और वर्तमान में भारत के लिए शांति और स्थिरता प्राथमिक लक्ष्य होने चाहिए. थरूर ने कहा कि भारत ने इस बार आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए कार्रवाई की थी, जिसे अब पूरा किया जा चुका है. वह कहते हैं कि यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे. हमने आतंकियों को जवाब दे दिया और यह अब खत्म होना चाहिए. उनके मुताबिक, भारत को अपनी आर्थिक प्रगति और नागरिकों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए, न कि लंबे समय तक युद्ध में फंसना.

1971 का युद्ध बनाम ऑपरेशन सिंदूर

थरूर ने इस बात को भी रेखांकित किया कि 1971 का युद्ध एक नैतिक उद्देश्य था. वह बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया था. उस समय भारत लोगों को आज़ादी दिलाने के लिए एक नैतिक वजह से लड़ रहा था. आज स्थिति अलग है. पाकिस्तान की सैन्य स्थिति, तकनीकी क्षमता और रणनीतिक सोच बदल चुकी है. उन्होंने कहा कि आज का भारत केवल बदला नहीं, स्थिरता चाहता है.

सीजफायर के बाद कांग्रेस ने बताई 1971 की उपलब्धि

सीजफायर की खबर आते ही कांग्रेस ने इंदिरा गांधी की तस्वीरें साझा कर 1971 की उपलब्धियों को याद दिलाया. इसे प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति पर तंज के रूप में देखा गया, लेकिन थरूर ने पार्टी लाइन से हटकर नजरिया अपनाया और वर्तमान हालात की गहराई से समीक्षा की.

बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस से पूछा कि 26/11 हमले के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने क्या कार्रवाई की थी? उन्होंने कांग्रेस की दोहरी मानसिकता पर सवाल उठाए. जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की ताकि देश को पहलगाम हमले से लेकर सीजफायर तक की प्रक्रिया की जानकारी मिल सके. साथ ही उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा ‘तटस्थ स्थल’ की बात पर सवाल उठाया – क्या भारत ने कश्मीर मुद्दे में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार किया है?