वाशिंगटन। अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बैरी विल्मोर स्पेस में फंस गए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाले बोइंग स्टारलाइनर में खराबी आई गई है। इसकी वजह से अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर वापस नहीं पाए हैं। अंतरिक्ष यात्रियों का यह मिशन सिर्फ आठ दिनों का ही था। अंतरिक्ष यान ने पांच जून को उन्हें लेकर उड़ाने भरा था। बोइंग स्टारलाइनर ने यह पहली उड़ाने भरी थी। हीलियम लीक और थ्रस्टर में खराबी होने की वजह से उनकी वापसी को टाल दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में सुनीता विलियम्स अभी हैं, लेकिन वह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्या खतरा है? अंतरिक्ष में वातावरण पृथ्वी से अलग होता है। वहां पर माइक्रोग्रैविटी, रेडिएशन का खतरा, अंतरिक्ष स्टेशनों के सीमित क्वार्टर मानव स्वास्थ्य के लिए एक चुनौती है। अंतरिक्ष स्टेशन पर ज्यादा समय तक रुकना उनके लिए जोखिम भरा है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेस में तात्कालिक परिवर्तनों में एक द्रव पुनर्वितरण है। गुरुत्वाकर्षण न होने की वजह से शारीरिक तरल पदार्थ शरीर के ऊपर वाले भाग पहुंचने लगते हैं। इसकी वजह से चेहरे पर सूजन, नाक बंद होना और पैरों में तरल पदार्थ की कमी होने लगती है। इससे रक्त की मात्रा कम होने का खतरा रहता है और ब्लड प्रेशर में गड़बड़ी हो सकती है।
क्या होती है समस्या?
धरती पर लौटने पर इसका असर नजर आता है। कुछ समय तक खड़े होने पर अंतरिक्ष यात्रियों को चक्कर आने लगता है और बेहोश हो जाते हैं। अंतरिक्ष में जाने वाले हर यात्री के साथ इस तरह की समस्या होती है। माइक्रोग्रैविटी का मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम पर असर होता है। गुरुत्वाकर्षण की कमी की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों की मांशपेशियां पैरों और पीठ में विशेष तौर पर कमजोरी आती है। इसके कारण हड्डियों को नुकसान होता है। विशेष तौर पर रीढ़ और श्रोणि जैसी वजन उठाने वाली हड्डियों में। यांत्रिक तनाव की कमी के कारण ऑस्टियोपोरोसिस के समान हड्डियों के घनत्व में कमी आती है।
अंतरिक्ष में कैंसर जैसी बीमारी का खतरा
धरती की तुलना में अंतरिक्ष यात्रियों को उच्च स्तर के रेडिएशन का सामना करना पड़ता है। इनमें गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणें और सौर कण शामिल हैं। इनके कारण डीएनए क्षति और कैंसर का जोखिम बढ़ता है। रेडिएशन के लेवल की अंतरिक्ष एजेंसियां सावधानी पूर्वक निगरानी करती हैं। गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण संवेदी इनपुट प्रभावित होता है। इससे संतुलन बनाने और आंख-हाथ समन्वय में परेशानी आती है। जब पहली बार कई अंतरिक्ष यात्री स्पेस में जाते हैं, तो उन्हें स्पेस मोशन सिकनेस का अहसास होता है। इनमें मतली, उल्टी और भटवाक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि अभ्यस्त होने पर ये लक्षण कम हो जाते हैं।